Monday, February 9, 2015

सफलता कि और !

आज फिर असफलता हमे लढी
जो दिल ने चाहा वो ना किया
येही असफलता के दल दल मे गिरा
इस पार आज मेरी  झिन्दागी है अडी

घरवालो  ने कहा, पढाई कर
मन से पढ, नौकरी कर, कोई काम काज धुंड
क्यू अलग करने चला
क्यू इस दल दल मे फिसलने चला


लोगो कि बाते सून कर
वो सप्ना तुट चुका था, अधुरा गिर राहा  था
अब ना में किसीका सुनुंगा
येह सप्ना में साकार कर के रहूंगा

कूच अलग करने कि चाहत है
कूच नया बननेकी उमीद
आंखो मे सप्ना, दिमाक मे पागलपन
निकल पडा है सप्ना कन्धो पे लेकर

खुद पर विश्वास है, सहास है
जो दिल ने चाहा, वोही करना है
पीछे मुडने से पेहले, आगे बढना है
आखो मे जो सप्ना लेहरा राहा है,
उसे हक़िक़त मे बदलना है

अब असफलता का हम्से कोई वास्ता नही
मेहनत घोर निष्ठा से, दिल से होगी
सफलता हर लम्हा, हर कदम चुमेगी
सफलता हर लम्हा, हर कदम चुमेगी..  

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